बेगू किसान आन्दोलन

बेगू किसान आन्दोलन

चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित बेर्गों के किसानों ने रामनारायण चौधरी के नेतृत्व में आन्दोलन किया। किसानों ने जागीरदारों के विरुद्ध 1921 ई. में मेनाल में इस आंदोलन की शुरुआत की और विजयसिंह पथिक को नेतृत्व सौंपा। कुछ समय बाद पथिकजी ने इसका नेतृत्व रामनारायण चौधरी को सौंप दिया।
1923 में किसानों व ठाकुर अनूपसिंह के मध्य समझौता हुआ लेकिन सरकार ने इसे ‘बोल्शेविक समझौता' कहकर रद्द कर दिया। बेगू में लाग-बाग की जाँच हेतु टेंच आयोग का गठन किया गया। 13 जुलाई, 1923 में गोविन्दपुरा में किसानों की सभा पर सेना द्वारा लाठीचार्ज करने पर रूपाजी व कृपाजी धाकड़ शहीद हो गये। पथिकजी पुनः इस आंदोलन से जुड़े। अंततः 1925 में समझौता हो गया। समझौते के तहत लाटा-कूता प्रथा समाप्त कर भूमि बन्दोबस्त लागू कर दिया
और कई लागें व बेगार समाप्त किया।

बूंदी किसान आन्दोलन

बूंदी किसान आन्दोलन
७ बूंदी के किसानों ने 1921 में लाग-बाग व बेगार प्रथा के विरोध में
पं. नयनूराम शर्मा के नेतृत्व में आंदोलन प्रारम्भ किया। 2 अप्रैल,
1923 में डाबी नामक स्थान पर किसानों की सभा पर की गई गोलीबारी है
में नानकजी भील शहीद हो गये।

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