अणु और परमाणु किसे कहते हैअणु और परमाणु किसे कहते है

अणु और परमाणु किसे कहते है

अणु

किसी तत्व का वह सूक्ष्मतम कण जो रासायनिक क्रिया में भाग ले सके परन्तु स्वतन्त्र अवस्था में न ठहर सके, परमाणु कहलाता है। परन्तु तत्व अथवा यौगिक का वह सूक्ष्मतम कण जो रासायनिक क्रिया में भाग न ले सके, परन्तु स्वतन्त्र अवस्था में ठहर सके, अणु कहलाता है।

अणु क्या है

साधारणतया दो या दो से अधिक परमाणुओं का समूह जो आपस में रासायनिक बंध या परस्पर आकर्षण बल द्वारा जुड़े होते हैं अणु कहलाते हैं।

एक ही तत्व के परमाणु या भिन्न भिन्न तत्वों के परमाणु परस्पर संयोग कर अर्थात आपस में जुड़कर अणु का निर्माण करते हैं।

अणु की परिभाषा

किसी तत्व या यौगिक का सूक्ष्मतम कण जो प्रकृति में स्वतंत्र रूप रह सकते हैं तथा तत्व या यौगिक के सभी गुणधर्म को प्रदर्शित करता है, अणु कहलाता है।

एक अणु वैद्युत रूप से उदासीन होता है।

उदारण:

नाइट्रोजन अणु (N2): नाइट्रोजन का अणु नाइट्रोजन के दो परमाणुओं से मिलकर बना होता है।

जल का अणु (H2O): जल का एक अणु हाइड्रोजन के दो परमाणुओं तथा ऑक्सीजन के एक परमाणु से मिलकर बनता है।

ऑक्सीजन अणु (O2): ऑक्सीजन का एक अणु ऑक्सीजन के दो परमाणुओं के मिलने से बनता है।

कार्बन डाइऑक्साइड का अणु (CO2): कार्बन डाइऑक्साइड का एक अणु कार्बन के एक परमाणु तथा ऑक्सीजन के दो परमाणुओं के मिलने से बनता है।

अणु के प्रकार

एक ही तत्व के परमाणु अथवा विभिन्न तत्वों के परमाणुओं के मिलने से अणु का निर्माण होता है। अवयवी परमाणुओं के आधार अणुओं को दो प्रकार में बाँटा जा सकता है : (a) तत्वों के अणु (b) यौगिकों के अणु

(a) तत्वों के अणु

एक ही तत्व के परमाणुओं के मिलने से बनने वाले अणु को तत्वों के अणु कहते हैं।

धात्विक तत्वों के परमाणु तथा अधात्विक तत्वों के परमाणु अलग अलग तरह से संयोग कर अणु का निर्माण करते हैं। धातु तथा अधातु के आधार पर अणुओं को दो प्रकार में विभक्त किया जा सकता है। (i) धातु के अणु तथा (ii) अधातु के अणु

(i) धातु के अणु

तत्व जो धातु हैं के अणु केवल एक ही परमाणु के बने होते हैं। धातु वाले तत्वों के परमाणु प्रकृति में मुक्त अवस्था में अस्तित्व में रह सकते हैं। जैसे: सोना (Au), ताम्बा (Cu), एलुमिनियम (Al), लोहा (Fe), चाँदी (Ag), इत्यादि।

(ii) अधातु के अणु

अधिकांश अधातुओं के अणु संबंधित तत्व के दो या दो से अधिक परमाणुओं के संयोग से बनते हैं। ये परमाणु काफी अभिक्रियाशील होते हैं तथा प्रकृति में मुक्त अवस्था में नहीं पाये जाते हैं। जैसे : ऑक्सीजन के अणु (O2), हाइड्रोजन के अणु (H2), क्लोरीन के अणु (Cl2), फ्लोरीन के अणु (F2),

हालाँकि कुछ अधातु के अणु मात्र एक ही परमाणु के बने होते हैं, जैसे कि कार्बन एक अधातु है, तथा कार्बन के अणु (C) एक ही परमाणु के बने होते हैं।

Atomicity

किसी अणु की संरचना में प्रयुक्त होने वाले परमाणुओं की संख्यां को उस अणु की परमाणुकता कहते हैं।

अणुओं की संरचना में प्रयुक्त होने वाले परमाणुओं की संख्यां के आधार पर अणुओं को निम्नांकित भागों में विभक्त किया जा सकता है: (a) एक पमाणुक (b) द्विपरमाणुक (c) त्रिपरमाणुक (d) चतुर्परमाणुक (e) बहुपरमाणुक

(a) एक परमाणुक अणु

एक ही परमाणु से बनने वाले अणुओं को एक परमाणुक अणु कहा जाता है। जैसे

जैसे: आर्गन (Ar), हीलियम (He), कार्बन (C) आदि

(b) द्विपरमाणुक अणु

एक ही तत्व के दो परमाणुओं से मिलकर बनने वाले अणु को द्विपरमाणुक अणु कहते हैं।

जैसे: ऑक्सीजन के अणु (O2), क्लोरीन के अणु (Cl2), हाइड्रोजन के अणु (H2), इत्यादि

(c) त्रिपरमाणुक अणु

तीन परमाणुओं से मिलकर बनने वाले अणु को त्रिपरमाणुक अणु कहते हैं।

उदाहरण:

ओजोन अणु (O3): ओजोन अणु का निर्माण ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं के संयोग से होता है। चूँकि ओजोन अणु के निर्माण में एक ही तत्व ऑक्सीजन के तीन परमाणु मिलते हैं अत: इसे त्रिपरमाणुक अणु कहते हैं।

(d) चतुर्परमाणुक अणु

एक ही तत्व के चार परमाणु के मिलने से बना अणु चतुर्परमाणुक अणु कहलाता है।

उदाहरण:

फॉस्फोरस (P4): फॉस्फोरस अणु का निर्माण फॉस्फोरस तत्व के चार परमाणुओं के मिलने से होता है। अत: फॉस्फोरस के अणु को चतुर्परमाणुक अणु कहते हैं।

(e) बहुपरमाणुक अणु

दो से अधिक परमाणुओं के मिलने से बना अणु बहुपरमाणुक अणु कहलाता है।

उदाहरण:

ओजोन (O3): ओजोन का अणु (O3) तीन ऑक्सीजन परमाणु के मिलने से बनता है, इसलिये इसे बहुपरमाणुक अणु कहा जाता है।

फॉस्फोरस (P4): फॉस्फोरस का अणु फॉस्फोरस के चार परमाणुओं के मिलने से बनता है, इसलिए फॉस्फोरस के अणु को बहुपरमाणुक अणु कहते हैं।

कुछ तत्वों की परमाणुकता

नामपरमाणुकतासूत्र
आर्गनएक परमाणुकAr
हीलियमएक परमाणुकHe
ऑकीजनद्विपरमाणुकO2
हाइड्रोजनद्विपरमाणुकH2
नाइट्रोजनद्विपरमाणुकN2
क्लोरीनद्विपरमाणुकCl2
फॉस्फोरसचतुर्परमाणुकP4
सल्फरबहुपरमाणुकS8

यौगिकों के अणु

भिन्न भिन्न तत्वों के परमाणुओं के एक निश्चित अनुपात में जुड़कर बनने वाले अणु को यौगिकों के अणु कहते हैं।

उदाहरण:

जल के अणु (H2O): जल के अणु हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के परमाणुओं के 2:1 अनुपात में मिलने से बनता है। तथा द्रव्यमान के अनुसार जल के अणु हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के 1:8 के अनुपात में मिलने से बनता है। जल में चूँकि दो तरह के तत्वों के परमाणु हैं, अत: जल के अणु को यौगिक का अणु कहते हैं।

अमोनिया का अणु (NH3): अमोनिया अणु का निर्माण नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन के परमाणुओं के संख्या के आधार पर 1:3 के अनुपात में तथा द्रव्यमान के आधार पर 14:3 के अनुपात में मिलने से होता है।

कार्बन डाइऑक्साइड का अणु (CO2): कार्बन डाइऑक्साइड के अणु का निर्माण कार्बन तथा ऑक्सीजन के परमाणुओं के संख्यां के आधार पर 1:2 तथा द्रव्यमान के आधार पर 3:8 के अनुपात में मिलने से होता है।

परमाणु क्या होता है

परमाणु द्रव्य का सूक्ष्मतम कण होता है। सभी प्रकार के द्रव्य या पदार्थ परमाणुओं से निर्मित होते हैं। परमाणु सभी द्रव्यों की रचनात्मक ईकाई है।

परमाणु की परिभाषा

द्रव्य का सूक्ष्मतम तथा अविभाज्य कण, जो उस द्रव्य का सभी अभिलाक्षणिक गुण रखता है, परमाणु कहलाता है।

परमाणु को अंग्रेजी में एटम (Atom) कहा जाता है। एटम “Atom = a + tomos”

इसमें “Tomos” एक ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ “काटना (to cut)” होता है। इस ग्रीक शब्द “Tomos” में उपसर्ग “a” लगा हुआ है, जिसका अर्थ नहीं होता है। अर्थात “A-tomos” (अ–भाज्य) का पूर्ण अर्थ अविभाज्य है।

परमाणु प्रकृति में कैसे पाया जाता है

अधिकांश तत्वों के परमाणु प्रकृति में मुक्त अवस्था में नहीं पाये जाते हैं। चूँकि परमाणु काफी अभिक्रियाशील होते हैं अत: अधिकांश तत्वों के परमाणु प्रकृति में यौगिक के रूप में पाये जाते हैं।

परमाणु के उदाहरण: हाइड्रोजन का परमाणु, ऑक्सीजन का परमाणु, नाइट्रोजन का परमाणु, क्लोरीन का परमाणु, आदि।

परमाणु कितने बड़े होते हैं (परमाणुओं का आकार)

परमाणुओं का आकार इतना सूक्ष्म होता है कि उन्हें नंगी आँखों से नहीं देखा जा सकता है। बल्कि परमाणु का आकार इतना छोटा होता है कि उन्हें साधारण सूक्ष्मदर्शी से भी नहीं देखा जा सकता है।

परमाणु गोलाकार होता है। चूँकि परमाणु गोलाकार होता है अत: परमाणुओं का आकार उसकी त्रिज्या के आधार पर तय की जाती है या परमाणुओं का आकार उसकी त्रिज्या को मापकर तय किया जाता है।

परमाणुओं की त्रिज्या नैनोमीटर में मापी जाती है। नैनोमीटर मीटर का अति छोटी ईकाई होती है।

1 m (मीटर) = 109 nm (नैनोमीटर)

Or, 1109 m = 1 nm

कुछ तत्वों के परमाणुओं का आकार:

हाइड्रोजन परमाणु का आकार = 10-10 m

जल के अणु का आकार = 10-9 m

बालू के कण का आकार = 10-4 m

चींटी का आकार = 10-2

परमाणु तथा परमाणुओं के प्रतीक

अभी तक लगभग 115 तत्वों की खोज की जा चुकी है। सुविधा की दृष्टिकोण से तत्वों के परमाणुओं को प्रतीक द्वारा दर्शाया जाता है। अर्थात प्रत्येक तत्व के परमाणु के लिए अलग प्रतीक निर्धारित किया गया है।

जॉन डल्टन, जो एक फ्रांसिसी वैज्ञानिक थे, ने सर्वप्रथम तत्वों के लिये प्रतीक चिन्ह का सुझाव दिया था तथा उन्होंने उस समय तक खोजा किये गये तत्वों के लिये प्रतीक चिन्हों का उपयोग करना भी शुरू कर दिया था।

बाद में बर्जिलियस ने सुझाव दिया कि तत्वों को उनके नाम के पहले अक्षर या पहले दो अक्षरों के निरूपित किया जा सकता है।

प्रारम्भ में तत्वों का नामकरण उनके सर्वप्रथम पाये जाने के स्थान के आधार पर की गई। जैसे: कॉपर (ताम्बे) के साईप्रस (Cyprus) में पाये जाने से उसका नाम कॉपर (Copper) रखा गया।

कुछ तत्वों के नामों को उनके विशिष्ट रंगों से लिया गया। जैसे: सोना (Gold) का नाम अंग्रेजी के उस शब्द से लिया गया जिसका अर्थ होता है पीला।

अब इंटरनेशन यूनियन ऑफ प्योर एंड एप्लाइड केमिस्ट्री (IUPAC) तत्वों के नामों को स्वीकृति प्रदान करती है। अधिकतर तत्वो के प्रतीक उन तत्वों के अंग्रेजी नामों के एक या दो अक्षरों से बने होते हैं। किसी प्रतीक के पहले अक्षर को सदैव बड़े अक्षर में तथा दूसरे अक्षर को छोटे अक्षर में लिखा जाता है।

कुछ तत्वों के नाम तथा प्रतीक

तत्व के नामप्रतीक
हाइड्रोजन (Hydrogen)H
हीलीयम (Helium)He
लीथियम (Lithium)Li
बेरिलियम (Beryllium)Be
बोरॉन(Boron)B
कार्बन (Carbona)C
नाइट्रोजन (Nitrogen)N
ऑक्सीजन(Oxygen)O

परमाणु द्रव्यमान

डाल्टन के परमाणु सिद्धांत की सबसे विशिष्ट संकल्पना परमाणु द्रव्यमान की थी। डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक तत्व का एक अभिलाक्षणिक परमाणु द्रव्यमान होता है।

परमाणु द्रव्यमान का निर्धारण

किसी परमाणु का द्रव्यमान निकालना अपेक्षाकृत एक कठिन कार्य था इसलिये रासायनिक संयोजन से उत्पन्न यौगिकों के द्वारा सापेक्ष परमाणु द्रव्यमानों को ज्ञात किया गया।

परमाणु द्रव्यमान की इकाई

परमाणु द्रव्यमान को अंग्रेजी में Atomic Mass unit कहा जाता है, जिसका संक्षिप्त नाम ‘amu’। अत: शुरू में परमाणु द्रव्यमान के अंग्रेजी नाम के संक्षिप्त नाम ‘amu’ को परमाणु द्रव्यमान के रूप में उपयोग किया जाने लगा।

लेकिन इंटरनेशनल यूनियन ऑफ प्योर एंड अप्लाएड केमिस्ट्री [IUPAC (International Union of Pure and Applied Chemistry (विशुद्ध एवं व्यवहारिक रसायनशास्त्र का अंतर्राष्ट्रीय संघ))] के अनुमोदन के पश्चात केवल ‘u’ को परमाणु द्रव्यमान की इकाई के संकेत के रूप में उपयोग किया जाने लगा। ‘u’ का अर्थ होता है ‘unified mass (यूनिफाइड द्रव्यमान या मास)’

प्रारम्भ में सापेक्ष परमाणु द्रव्यमान की गणना के लिये ऑक्सीजन (Oxygen) को मानक के रूप लिया गया तथा ऑक्सीजन परमाणु के द्रव्यमान के 116 भाग को ईकाइ के रूप में लिया गया क्योंकि

(a) ऑक्सीजन अनेक तत्वों के साथ अभिक्रिया करके यौगिक बनाता है।

(b) इस परमाणु द्रव्यमान इकाई द्वारा अधिकांश तत्वों के परमाणु द्रव्यमान पूर्णांक में प्राप्त होते हैं।

परंतु बाद में 1961 में परमाणु द्रव्यमानों को ज्ञात करने लिये परमाणु द्रव्यमान इकाई ‘कार्बन–12’ समस्थानिक (isotope) को मानक संदर्भ के रूप सार्वभौमिक रूप से स्वीकार किया गया।

‘कार्बन–12’ समस्थानिक (isotope) के द्रव्यमान के 112 वें भाग को सापेक्ष परमाणु द्रव्यमान का मानक इकाई माना गया।

अर्थात, एक परमाणु द्रव्यमान या ‘1 u’ = ‘कार्बन-12’ क़े द्रव्यमान का 112 वां भाग

या, 1 u = ‘कार्बन-12’  क़े द्रव्यमान का  112 वां भाग

इसका अर्थ है, (1) यदि हाइड्रोजन का परमाणु द्रव्यमान 1 u है तो हाइड्रोजन का एक परमाणु ‘कार्बन-12’ के परमाणु के 12वें भाग से 1 गुणा भारी है।

(2) ऑक्सीजन का परमाणु द्रव्यमान 16 है। इसका अर्थ है कि ऑक्सीजन का एक परमाणु ‘कार्बन-12’ के एक परमाणु के 12वें भाग से 16 गुणा भारी है।

(2) नाइट्रोजन का परमाणु द्रव्यमान 14 है। इसका अर्थ है कि नाइट्रोजन का एक परमाणु ‘कार्बन-12’ के एक परमाणु के 12वें भाग से 14 गुणा भारी है।

अत: परमाणुओं के द्रव्यमान की गणना ‘कार्बन–12’ समस्थानिक (isotope) के द्रव्यमान के सापेक्ष की जाती है।

सापेक्ष परमाणु द्रव्यमान की परिभाषा

किसी तत्व के सापेक्षिक परमाणु द्रव्यमान को उसके परमाणुओं के औसत द्रव्यमान का कार्बन–12 परमाणु के द्रव्यमान के 112वें भाग के अनुपात द्वारा परिभाषित किया जाता है।

कुछ तत्वों का परमाणु द्रव्यमान
तत्वपरमाणु द्रव्यमान (u)
हाइड्रोजन1
कार्बन (Carbon)12
ऑक्सीजन (Oxygen)16
सोडियम (Sodium)23
मैग्नीशियम (Magnesium)24
सल्फर (Sulphur)32
क्लोरीन (Chlorine)35.5
कैल्शियम (Calcium)40

परमाणु किस प्रकार अस्तित्व में रहते हैं

अधिकांश तत्वों के परमाणु अत्यधिक अभिक्रियाशील होते हैं, इस कारण से ये परमाणु प्रकृति में स्वतंत्र रूप से नहीं पाये जाते हैं। बल्कि अत्यधिक अभिक्रियाशील होने के कारण परमाणु अणु, आयन, तथा यौगिक के रूप में पाये जाते हैं।

अर्थात परमाणु अणु, आयन तथा यौगिक बनाते हैं। ये अणु अथवा आयन अत्यधिक संख्यां में पुंजित होकर वह द्रव्य बनाते हैं, जिसे हम देख सकते है, अनुभव कर सकते हैं अथवा छू सकते हैं।

उदाहण:

ऑक्सीजन के परमाणु अत्यधिक अभिक्रियाशील होते हैं। अत्यधिक अभिक्रियाशील होने के कारण ऑक्सीजन के परमाणु अधिकांश तत्वों के साथ संयोग कर यौगिक बनाते हैं।

ऑक्सीजन के दो परमाणु मिलकर ऑक्सीजन का एक अणु बनाता है (O2)।

उसी प्रकार हाइड्रोजन का परमाणु स्वतंत्र रूप में नहीं रहकर हाइड्रोजन अणु के रूप में अस्तित्व में रहता है।

क्लोरीन का परमाणु स्वतंत्र रूप में नहीं रहकर क्लोरीन अणु के रूप में अस्तित्व में रहता है।

सोना, चाँदी, लोहा, ताम्बा आदि तत्व के कई परमाणु मिलकर पुंज बनाकर अस्तित्व में रहते हैं, जिसे हम छूकर देख सकते हैं। एक लोहे का रॉड, एक ताम्बे का सिक्का या एक चाँदी का सामान, केवल एक परमाणु नहीं बल्कि असंख्य परमाणुओं के पुंज से मिलकर बना होता है, जिसे छूकर या देखकर महसूस किया जाता है। यदि सोना, चाँदी, ताम्बा आदि का एक परमाणु अलग हो, तो वह दिखाई नहीं देगा क्योंकि परमाणु अति सूक्ष्म होते हैं जिन्हें नंगी आंखों से तो क्या साधारण माइक्रोस्कोप से भी नहीं देखा जा सकता है।

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