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कृषि पर निबंध (essay on agriculture)

प्रस्तावना

लिस्टर ब्राउन ने अपनी पुस्तक “सीड्स ऑफ चेंजेस” एक “हरित क्रांति का एक अध्ययन,” में कहा है कि “विकासशील देशों में कृषि क्षेत्र के उत्पादन में वृद्धि के साथ व्यापार की समस्या सामने आएगी।”

इसलिए, कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण और विपणन के लिए उत्पादन, रोजगार बढ़ाने और खेतों और ग्रामीण आबादी के लिए आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसके परिणामस्वरूप ग्रामीण विकास होता है।

भारतीय कृषि की विशेषताएं:

(i) आजीविका का स्रोत – हमारे देश में कृषि मुख्य व्यवसाय है। यह कुल आबादी के लगभग 61% व्यक्तियों को रोजगार प्रदान करती है। यह राष्ट्रीय आय में करीबन 25% का योगदान देती है।

(ii) मानसून पर निर्भरता – हमारी भारतीय कृषि मुख्यतः मानसून पर निर्भर करती है। अगर मानसून अच्छा आया तो कृषि अच्छी होती है अन्यथा नहीं।

(iii) श्रम गहन खेती – जनसंख्या में वृद्धि के कारण भूमि पर दबाव बढ़ गया है। भूमि जोत के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं और उपविभाजित हो जाते हैं। ऐसे खेतों पर मशीनरी और उपकरण का उपयोग नहीं किया जा सकता है।

(iv) बेरोजगारी – पर्याप्त सिंचाई साधनों के अभाव में और अपर्याप्त वर्षा के कारण किसान वर्ष के कुछ महीने ही कृषि-कार्यों में संलग्न रहते हैं। जिस कारण बाकी समय तो खाली ही रहते है। इसे छिपी बेरोजगारी भी कहते है।

(v) जोत का छोटा आकार – बड़े पैमाने पर उप-विभाजन और जोत के विखंडन के कारण, भूमि के जोत का आकार काफी छोटा हो जाता है। छोटे जोत आकार के कारण उच्च स्तर की खेती करना मुमकिन नहीं होता है।

(vi) उत्पादन के पारंपरिक तरीके – हमारे देश में पारंपरिक खेती का चलन है। केवल खेती ही नहीं अपितु इसमें प्रयुक्त होने वाले उपकरण भी पुरातन एवं पारंपरिक हैं, जिससे उन्नत खेती नहीं हो पाती।

(vii) कम कृषि उत्पादन – भारत में कृषि उत्पादन कम है। भारत में गेहूं प्रति हेक्टेयर लगभग 27 क्विंटल का उत्पादन होता है, फ्रांस में 71.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और ब्रिटेन में 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन होता है। एक कृषि मजदूर की औसत वार्षिक उत्पादकता भारत में 162 डॉलर, नॉर्वे में 973 डॉलर और यूएसए में 2408 डॉलर आंकी गयी है।

(viii) खाद्य फसलों का प्रभुत्व – खेती किए गए क्षेत्र का करीब 75% गेहूं, चावल और बाजरा जैसे खाद्य फसलों के अधीन है, जबकि लगभग 25% खेती क्षेत्र वाणिज्यिक फसलों के तहत है। यह प्रक्रिया पिछड़ी कृषि के कारण है।

उपसंहार

भारतीय कृषि मौजूदा तकनीक पर संसाधनों का सबसे अच्छा उपयोग करने हेतु संकल्पित हैं, लेकिन वे बिचौलियों के प्रभुत्व वाले व्यापार प्रणाली में अपनी उपज की बिक्री से होने वाले लाभ में अपने हिस्से से वंचित रह जाते हैं और इस प्रकार कृषि के व्यवसायिक पक्ष की घोर उपेक्षा हुई है।

essay on agriculture in hindi - कृषि पर निबंध essay
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