मेरी हमसफर बनोगी
मेरी हमसफर बनोगी
जोर से बोलो वेलिनटाइन बाबा की जय……….
बरबादी के देवता की………..जय हो
गॉड ऑफ लव की……
पहले मैंने सोचा कि ये ब्लॉग लिख तो लिया है मगर पोस्ट करूँ या न करूँ…..संशय में था…
तभी मेरे दोस्त ने मुझसे कहा “””सोमू तू लिख क्योंकि लेखक स्वतंत्र होता है
बस इत्ता सुनकर हमाये विश्वास को बल मिला।।।
ये ब्लॉग लिखने की वजह भी मेरे दोस्तों का कहा है
और इस ब्लॉग से दूर दूर तक मेरा कोई भी सम्बन्ध नहीं है…………
भावो पर ध्यान दें बाक़ी प्रोफाइल देखनी हो लिखने वाले बन्दे की तो नीचे क्लिक करे प्रोफाइल पर एक बात कहूँ………..बहुत दिनों से कहनी थी तुमसे……..
हम खुद से भी ज्यादा तुमको पसन्द करते हैं
तुम जानती हो कंही न कंही से हम एक है……हमारी मंजिल भी एक है बस आज तक रास्ते अलग थे………
तुम्हें देखकर न जाने क्यों मुझे अपनापन सा लगता है…
दिल को सुकून और मेरी चाहत को राहत मिलती है
तू मुझे इसलिए भी अच्छी लगती है क्योंकि मुझे अपने जैसे लोग अच्छे लगते हैं…….
तू जिन्दगी क्या है ये समझ रही है और
मैं जिन्दगी के तजुर्बो से वाकिफ हूँ
जब हमारी मंजिल एक है तो क्यों न हम अपने रास्ते भी मोड़ ले,चले एक साथ,पकड़ एक दूसरे का हाथ,एक दूसरे के हमसफर बनकर इस जिन्दगी के सफ़र को सुहाना बनायें……
जंहा मजबूरियाँ न हों,हम तुम में दूरियाँ न हों, फासले न हों,गलतफहमियां न हों,बस खुले आसमान में झिलमिल सितारे हों…….उसके नीचे बस हम तुम हो….एक छोटा सा घर हो…तितलियों से भरा आँगन हो……
तुम ही हो जो मेरे अकेलेपन को महसूस करती हो…….
ये बातें महज बातें नहीं हैं…बेजुबाँ हैं मगर कोरे पन्नो पर उतरकर आया मेरा दर्द है….जो मुझे यकीन दिलाता है कि मैं खुश हूँ…..हाँ जी रहा हूँ…जिन्दा हूँ कंही न कंही……..
तुम जानती हो तुम्हारे कदमो की आहत से मैं जान जाता हूँ कि ये तुम हो…..हाँ तुम हो…….
यहीं कंही मेरे आस पास……..
तुम अहसास हो मेरी जिन्दगी का…..तुम सुकून हो मेरी बन्दगी का……
मैं ये नहीं कहता कि तुम मेरी जिन्दगी हो….
हाँ…..मगर तुम मेरी जिन्दगी में अहम हो….
हाँ…..तुम मेरी जिन्दगी में हो…..लेकिन जिन्दगी नहीं….क्योंकि हर कोई किसी की जिन्दगी में होता है ……जिन्दगी नहीं होता………हाँ……….
एक और बात….जो तुमसे कहनी थी…..
तुमसे पूछनी थी…….
दर्द तो पहले भी उठता था मेरे सीने में..जुबाँ भी थी,मगर अल्फाजों का समन्दर अब बह रहा है
सब्र का बांध अब टूटा है
अच्छा नहीं लगता जब तुम किसी और से बात करती हो….
दिल में एक बेतुकी सी चुभन होती है जब लगता है तुम किसी और से प्यार करती हो…..किसी गैर को चाहती हो….
हाँ……मैं खामोश रहता हूँ,मगर अनजान नहीं हूँ…
बेवजह नहीं रूठता हूँ तुमसे,बस तेरी फिक्र करता हूँ…
तुमसे बात करते वक्त लगता है जैसे तुमसे समझदार इस दुनियाँ में कोई नहीं
तेरे तसव्वुर से मेरी रूह को करार है…
पता नहीं ये दोस्ती या प्यार है…..
मगर जो भी है जैसा भी है…बड़ा मजेदार है।।।
एक लगाव सा हो गया है तुझसे,तुझको भुलाया भी नहीं जाता, तुझसे दूर जाया भी नहीं जाता….
हाँ….थोड़ा पागल हूँ…माना तेरे काबिल नहीं
सहमा हुआ सा हूँ,थक गया हूँ मगर मैं रुका नहीं
बस….सवालों का जमावड़ा है,ढेरों जज्बात हैं..यादों का पुलिंदा लिए जब सवेरे सवेरे आँखे खोलता हूँ तो इस वीरान सी दुनिया में खुद को अकेला पाता हूँ
तुम्हें पता है मुझे अंधेरों से डर लगता है क्योंकि मैं वाकिफ नहीं हूँ इनकी गहराई से….
अनजान राहों पर भटकता हूँ अनजान बनकर,अनजाने लोग मिलते हैं इस भीड़ से भरी दुनियाँ के व्यस्त चौराहों पर……
एक सिसकती सी आवाज आती है अन्दर से…तुझे खो न दूँ कंही मैं….बिछड़ न जाऊ तुझसे
तेरे साथ का सफ़र यंही खत्म न हो जाये
क्या तुम मेरी हमसफ़र बनोगी