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Class 12 Biology Chapter 1 Notes in Hindi

जीवों में जनन

जीवन अवधि (Life Period) –

किसी जीव का उसके जन्म से लेकर उसकी प्राकृतिक मृत्यु तक का समय उसका जीवनकाल या जीवन अवधि कहलाता है।

प्रत्येक जीव का जीवनकाल अलग- अलग होता है, जैसे मनुष्य एक जीव है जिसका जीवनकाल 70-75 वर्ष माना गया है।

इसी प्रकार अलगअलग जीवों का जीवनकाल अलग-अलग होता है।

explain the importance of reproduction in organism - Reproduction in Organisms Class 12
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कुछ जीवो के जीवनकाल निम्न है।

कुछ जंतुओ के जीवनकाल

जीवजीवनकाल
हाथी65-70 वर्ष
कुत्ता20 – 25 वर्ष
तितली1-2 वर्ष
गाय20 – 25 वर्ष
घोड़ा50-60 वर्ष
कछुआ100 – 150 वर्ष
कौआ15 वर्ष

कुछ पौधों के जीवनकाल

गुलाब5-7 वर्ष
केला25 वर्ष
धान3-4 महीना
बरगद200 वर्ष
पीपल1500 वर्ष
आम100 वर्ष
जामुन60 वर्ष

जनन (Reproduction)-

जनन द्वारा कोई जीवधारी (वनस्पति या प्राणी) अपने ही सदृश किसी दूसरे जीव को जन्म देकर अपनी जाति की वृद्धि करता है।

जन्म देने की इस क्रिया को जनन कहते हैं। जनन का अर्थ है, अपने समान संतान उत्पन्न करना जनन कहलाता है।

जनन के उद्देश्य:-

जनन जीवो की एक प्रमुख जैविक क्रिया है |

जिसके उद्देश्य निम्न है:-

  • जनन के माध्यम से ही जाति की निरंतरता सदैव बनी रहती है।
  • जीव जनन करते है और अपने समान संतान उत्पन्न करते हैं; जिससे उनकी संख्या में वृद्धि होती है।
  • जनन से विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं और विभिन्नताओं सें विकास होता है।
  • जनन के द्वारा ही किसी जीव की मृत्यु होने पर भी उसकी जाति का आस्तित्व बना रहता है।

जनन के प्रकार – यह निम्न प्रकार के होते हैं:-

  1. कायिक / वर्धी जनन (Vegetative Reproduction)
  2. अलैगिक जनन (Asexual Reproduction)
  3. लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)

कायिक जनन (Vegetative Reproduction)

जब किसी पौधे मे जड़, तने, पत्ती के द्वारा नये पौधे को जन्म दिया जाता है। तो उसे हम कायिक जनन/वर्धी जनन कहते है।

नये पौधे आकारकी व अनुवंशिकी रूप से अपने मातृ पौधे के एकदम समान होते हैं

व इनके गुण अपने मातृ पौधे के एकदम समान होता है।

मातृ पौधे का वह भाग जो नये पौधे को बनाता है उसे कायिक प्रवर्ध कहते हैं,

जो जड़, तनां व पत्ती इनमें से कोई भी हो सकता है।

प्राकृतिक कायिक जनन (Natural Vegetative Reproduction)

प्राकृतिक कायिक जनन मे स्वतः ही पौधे का रूपांतरित भाग या कायिक प्रवर्ध अंकुरित होकर नये पौधे को जन्म देता है।

प्राकृतिक कायिक जनन की विधियाँ निम्न है।

(1).जडो द्वारा कायिक जनन –

जब कोई पौधा जडो द्वारा अपने समान नये पौधे को जन्म देता है तो उसे हम जड़ो द्वारा होने वाला कायिक जनन कहते हैं।

जैसे – परवल मे (Trichosomthes), शकरकन्द (Imomea Batatas), सतावर पौधे मे (Asparagus plant) ,

(2). तनो द्वारा होने वाला कायिक जनन

जब किसी पौधे में तने के द्वारा अपने समान नये पौधे को उत्पन्न किया जाता है, तो उसे तने द्वारा होने वाला कायिक जनन कहते है ।

जैसे – अदरक (Ginger), हल्दी (Turmeric), आलू (Potato) आदि।

(3). पत्ती द्वारा होने वाला कायिक जनन- 

जब किसी पौधे में पत्ती के द्वारा अपने समान नये पौधे को उत्पन्न किया जाता है तो इसे पत्ती द्वारा होने वाला कायिक जनन कहते हैं।

जैसे-अजूबा मे , बिगोनिय पौधे मे।

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कृत्रिम कायिक जनन (Artificial Vegetative Reproduction)

पौधों में कायिक जनन मनुष्यों द्वारा विभिन्न तरीको से कराया जाता है अतः इस प्रकार से कायिक जनन जो मनुष्य द्वारा कराया जाता है कृत्रिम कायिक जनन कहलाता है।

अलैंगिक जनन– अलैंगिक जनन की क्रिया से उत्पन्न संतान से एकदम अपने जनक के समान होती है अर्थात अपने जनक का क्लोन होती है। इसीलिए अलैगिक जनन को एकल जीव जनन भी कहते हैं।

अलैंगिक जनन की विधियाॅ 

  1. द्विविखण्डन (Binary fission)
  2. बीजाणुजनन (sporilation)
  3. मुकुलन (Budding)
  4. क़लिका (Gemmules)
  5. खंडीभवन (fragmentation)
  6. पुनरुदभवन (Regeneration)

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